मां कामाख्या देवी मंदिर का परिचय:
मां कामाख्या देवी मंदिर भारत के असम राज्य की राजधानी गुवाहाटी में स्थित एक प्रसिद्ध शक्ति पीठ है। यह मंदिर नीलांचल पर्वत पर बसा हुआ है और यह तंत्र साधना का प्रमुख केंद्र माना जाता है। यह मंदिर देवी सती के 51 शक्तिपीठों में से एक है और ऐसा माना जाता है कि यहां देवी सती का योनिभाग गिरा था।
स्थान (Location):
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राज्य: असम
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शहर: गुवाहाटी
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स्थान: नीलांचल पर्वत, गुवाहाटी (Guwahati), असम
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पिन कोड: 781010
पूजा और मंदिर के दर्शन समय (Puja & Temple Timings):
क्र. | समय | विवरण |
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1. | सुबह 5:30 बजे | मंदिर खुलने का समय |
2. | सुबह 5:30 – 6:00 बजे | नित्य पूजा |
3. | सुबह 6:00 – 1:00 बजे | दर्शन का समय |
4. | दोपहर 1:00 – 2:30 बजे | मध्याह्न विश्राम (दर्शन बंद) |
5. | दोपहर 2:30 – रात 7:30 बजे | दर्शन और पूजा |
6. | रात 7:30 बजे | आरती और मंदिर बंद |
नज़दीकी मंदिर (Nearby Temples):
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उमानंद मंदिर – ब्रह्मपुत्र नदी के टापू पर स्थित है।
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नवग्रह मंदिर – नवग्रहों को समर्पित प्रसिद्ध ज्योतिष मंदिर।
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बशिष्ठ आश्रम – ऋषि बशिष्ठ से जुड़ा ऐतिहासिक स्थल।
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भूबनेश्वरी मंदिर – नीलांचल पहाड़ी पर ही एक और देवी मंदिर।
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बालाजी मंदिर – तिरुपति स्टाइल का आधुनिक मंदिर।
कैसे पहुंचे (How to Reach):
हवाई मार्ग से (By Air):
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नजदीकी हवाई अड्डा: लोकप्रिया गोपीनाथ बोरदोलोई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा (Guwahati Airport)
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दूरी: लगभग 20-25 किमी
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हवाई अड्डे से टैक्सी या कैब उपलब्ध है।
रेल मार्ग से (By Train):
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नजदीकी रेलवे स्टेशन: गुवाहाटी रेलवे स्टेशन (Guwahati Railway Station)
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दूरी: लगभग 8 किमी
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स्टेशन से ऑटो/टैक्सी/बस आसानी से मिल जाती है।
बस मार्ग से (By Bus):
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गुवाहाटी शहर में विभिन्न राज्यों से बसें आती हैं।
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ISBT गुवाहाटी से लोकल टैक्सी, शेयरिंग ऑटो या बस लेकर मंदिर तक पहुँचा जा सकता है।
इतिहास और रहस्य (History & Secrets):
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शक्ति पीठ: माना जाता है कि जब भगवान शिव देवी सती के मृत शरीर को लेकर तांडव कर रहे थे, तब भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से देवी के शरीर को 51 भागों में विभाजित कर दिया। कामाख्या देवी मंदिर उस स्थान पर बना है जहां देवी सती का योनिभाग गिरा था।
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रहस्य: इस मंदिर में देवी की मूर्ति नहीं है, बल्कि एक प्राकृतिक योनिकुंड (yoni-shaped stone structure) है जिसमें पानी हमेशा बहता रहता है। इसे ही देवी का रूप मानकर पूजा की जाती है।
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मंदिर का निर्माण: वर्तमान मंदिर का निर्माण 8वीं-9वीं शताब्दी में हुआ माना जाता है, जिसे बाद में अहोम राजाओं ने पुनर्निर्मित करवाया।
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तांत्रिक शक्तियों का केंद्र: यह मंदिर तंत्र साधना के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है। यहां कई तांत्रिक साधक साधना करने आते हैं।
विशेष आयोजन और उत्सव (Special Events & Festivals):
1. अंबुबाची मेला (Ambubachi Mela):
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यह मेला जून के महीने में होता है, जब देवी का मासिक धर्म माना जाता है।
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इन 3 दिनों में मंदिर के कपाट बंद रहते हैं। चौथे दिन स्नान के बाद मंदिर फिर से खुलता है।
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यह समय तांत्रिक साधकों के लिए विशेष माना जाता है।
2. नवरात्रि उत्सव:
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विशेष पूजा और हवन का आयोजन होता है।
3. माघी पूर्णिमा और दुर्गा पूजा:
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बड़े स्तर पर पूजा और भंडारे का आयोजन।
क्या करें – क्या ना करें (Do’s and Don’ts):
- मंदिर परिसर में शांति बनाए रखें।
- पारंपरिक और सादे वस्त्र पहनें।
- कैमरे और मोबाइल का प्रयोग सीमित करें।
- मंदिर में चमड़ा, मांस या शराब लेकर न जाएं।
- कतारों में धक्का-मुक्की से बचें।
मां कामाख्या देवी के मंत्रों की सूची
1. बीज मंत्र (Beej Mantra):
“ऐं ह्रीं क्लीं कामाख्यै नमः॥”
यह कामाख्या देवी का अत्यंत प्रभावशाली बीज मंत्र है। इसका नियमित जाप साधना में सफलता, इच्छा पूर्ति और तांत्रिक रक्षा प्रदान करता है।
2. कामाख्या गायत्री मंत्र (Kamakhya Gayatri Mantra):
“ॐ कामरूपायै विद्महे। कामेश्वर्यै धीमहि। तन्नो देवी प्रचोदयात्॥”
यह मंत्र देवी के ज्ञान, शक्ति और कृपा प्राप्ति के लिए जपा जाता है। विशेष रूप से नवरात्रि और अंबुबाची पर्व पर यह प्रभावी होता है।
3. तांत्रिक मंत्र (Tantrik Kamakhya Mantra):
“ॐ ऐं ह्रीं श्रीं कामाख्यै कामरूपिण्यै नमः॥”
यह तांत्रिक साधकों के बीच लोकप्रिय मंत्र है, जो देवी की रूप शक्ति को जाग्रत करता है। इसे विशिष्ट तांत्रिक साधना में जपा जाता है।
4. इच्छा पूर्ति मंत्र (Wish Fulfillment Mantra):
“ॐ ह्रीं ऐं क्लीं सौः कामाख्यै भगवत्यै नमः॥”
इच्छाओं की पूर्ति और मनोकामनाओं के लिए यह अत्यंत प्रभावशाली मंत्र माना जाता है।
5. शक्तिपात मंत्र (Shaktipat Mantra):
“ॐ नमः कामाख्ये देवी, त्रिपुरे सुखरूपिणि।
सर्वसिद्धिप्रदे देवि नमस्ते सिद्धिरूपिणि॥”
यह मंत्र साधना में सिद्धि, आत्मिक शक्ति और तांत्रिक उन्नति के लिए जपा जाता है।
6. मंत्र शक्ति जागरण हेतु (For Activation of Inner Energy):
“ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे कामाख्यायै नमः॥”
यह मंत्र विशेष रूप से चंडी साधना और आंतरिक ऊर्जा जागरण में उपयोग किया जाता है।
मंत्र जप विधि (Mantra Chanting Method):
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शुद्ध स्थान पर आसन बिछाएं।
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मां कामाख्या की तस्वीर या योनिकुंड की प्रतिकृति सामने रखें।
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रुद्राक्ष या लाल चंदन की माला से जप करें।
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जप संख्या: रोज़ाना कम से कम 108 बार करें।
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जप का समय: प्रातः काल ब्रह्ममुहूर्त या रात्रि का अंतिम प्रहर श्रेष्ठ है।
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श्रद्धा और निष्ठा के साथ जाप करें।